सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Mother india movie

             Mother India                                  (Movie)                                               

  भारतीय सिनेमा हमेशा से समय के साथ उपस्थित होनेवाली समस्या के प्रति जागृति लानेके लिए, उसका निवारण करने के लिए बनायीं गयी है |ईस प्रकार की फिल्मों को भारतीय प्रेक्षकों ने पसंद किया है एवं सराहा है |देश  की आज़ादी के बाद शुरू के दस साल बाद 1957में प्रदर्शित हुई "मधर इंडिया " ऐसी ही एक सामाजिक तथा लोगो में जागृति लानेवाली फिल्म है | लेखक और दिग्दर्शक द्वारा ये दिखाने की कोशिष की गयी है कि आज़ादी के बाद भी देश के  शाहूकारो और जमीदारो द्वारा हमेशा गरीब और अनपढ़ प्रजा को लुटने का चालु रखा है |तरह तरह के छल करके गरीब किसानो की जमीन अपने कब्जे में रखकर, उनके पास गुलामी एवं मजदूरी करवाके तथा किसानो को अपनी मेहनत का पुरा मूल्य नहीं मिले ऐसी परिस्थिति खड़ी कर दी है, छोटे और गरीब इंसानो को आज़ादी और गुलामी का कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा था, इनके लिए तो कड़ी मेहनत करके भी लाला और जमीदारो की गुलामी में  ही जीना था |
             फिल्म में 1957  का जमाना फिल्माया गया है, उन दिनों एक नहर का काम पुरा होकर के तैयार होती है उसी समय ग्रामबासी ,गाम की माता मानी जानेवाली राधा (नरगीस )को नहर का शुभारंभ करने के लिए बुलाते है , उसी पावन घडी पर उपास्थित  हुई राधा अपने अतीत के आंगन में  पहुंच जाती है ,उसे अपनी शादी की घडी याद आ जाती है |
   राधा और शामु  (राजकुमार )की शादी के लिए राधा की सांस ने शाहूकार  सुखीलाला (कन्हयालाल )से जमीन गिरवी रखकर  ब्याज  पे  500 रूपये  लिए थे |खेती में फसल ठीक से ना होने के कारन खुद का जीवननिर्वाह करना मुश्किल था तो फिर ब्याज  चुकाना तो बहुत दूर की बात थी |कर्जे की शर्त के अनुसार शामु की माँ को सुखीलाला ने  मुंहजुबानी  बताया था की जब तक कर्ज वापस मिले तब तक फसल का तीन हिस्सा उनका और एक हिस्सा लाला कर्ज के ब्याज के तौर पे लेगा, लेकिन हिसाब के चोपड़े में शामु की माँ का अंगूठा लगवाया था जिसमें धोखा किया गया और यह लिखा गया के ब्याज के तौर पे फसल का तीन हिस्सा लाला का और एक हिस्सा शामु के परिवार का |यह बात तब रोशनी में आयी जब ब्याज की तकरार के चलते पंचायत बुलाई गयी, पंचायत में कपटी लाला ने उसके चोपड़े दिखाए जिसके अनुसार पंचायत में उपस्थित लाला के प्रभाव से दबे हुवे बड़े बुजुर्गो ने ये फैसला दिया की ,शर्त के अनुसार शामु के परिवार को ब्याज के तौर पे  फसल का तीन हिस्सा लाला को देना पड़ेगा |राधा और शामु कर्ज चुकाने के लिए बहुत मेहनत करते है लेकिन जो कुछ मिलता था सारा ब्याज में चला जाता था,  500 रूपये का कर्ज ज्युं का त्यु रह जाता है |

        एक दिन अचानक राधा के मन में एक बात सूझी कि क्यों ना उनके पास एक पथरीली जमीन का टुकड़ा है उसे मेहनत करके उपजाव बनाया जाये, और अधिक  उपज पैदा की जाये, वो अपना सुझाव शामु को बताती है, पहले तो शामु मना करता है लेकिन बाद में राधा  के साथ मिलकर मेहनत करता है ,पथरीली और बंजर जमीन में से पत्थर हटाने के लिए वो बैल कोभी मदद में लेते है लेकिन काम के दबाव के कारन बैल मर जाते है |शामु को मुसीबतो के दौर में एक और फटका लगाता है ,दूसरे बैल खरीदने के लिए शामु लाला के पास पैसे मांगता है, लाला पैसे के बदले में घर के तांबा पीतल के बर्तन की मांग करता है, ईस विड़बना से बचने के लिए राधा यह रास्ता निकालती है -वो  अपने  गहने बेच देती  है और नये बैल की खरीदारी होती है और दोनों मेहनत की राह में आगे बढ़ते है |पर किसे पता था मेहनत का यह सफर ईतना दुखदायी बन जायेगा ? एक बड़ा सा पत्थर हटाते  समय शामु के दोनों हाथ पत्थर के नीचे दब जाते है, शामु दोनों हाथों से अपाहिज हो जाता है |बदमाश लाला बेबस और लाचार शामु को बीवी की हराम की कमाई खानेवाला बोलकर उसकी खुद्दारी पर चाटा मारता है |यही बात शामु के 
आत्मसन्मान को ठेस पहुँचती है, वो अपने आप को परिवार पर बोज समझता है एवं हमेशा हमेशा के लिए घर छोड़कर चला जाता है |
उसके बाद,राधा अपने तीन  बेटों के साथ दुखों के भंवर में फसती ही चली जाती है |राधा अपने पति से बिछड़ने के सदमे से बहार भी नहीं निकली वहा उसकी साँस के इस दुनिया से चले जाने का गम सामने आता है
किस्मत का कहर तो देखो ,ईतना कुछ कम था जो मुसीबत की ओर एक बिजली गिरती है ;गाँव में बाढ़ का प्रकोप हो जाता है ,सब कुछ बह के बर्बादी की लकीर छोड़ जाता है |राधा का घर टूट जाता है, तीन बेटों के साथ निराधार हो जाती है |खाने को अन्न का दाना नहीं ,उसका छोटा बेटा भूख के मारे मर जाता है |राधा और भूख से तड़पते उसके छोटे बच्चे, यही लाचारी का सौदा करने सुखीलाला आता है, राधा को उसके जिस्म के बदले में मदद करने का प्रस्ताव रखता है, राधा उसका हैवानियत से भरे प्रस्ताव को ठुकराती है |आपदा से हैरान गांववाले गाँव छोड़कर दुसरी जगह जाने के लिए निकल पड़ते है तब राधा सब को रोक लेती है ,सभी मिलकर मेहनत करते है ,वेरान हुई धरती पे फिर से हरियाली लहराती है ,जीने की उम्मीद फिर से जागती है |

      समय का चक्र चलते ही जाता है पर राधा अभी तक सुखीलाला के ब्याज के चक्र से बाहर नहीं नीकल पाई है, बरसो बीत गए, देखते देखते राधा के दोनों बेटे बिरजू (सुनील दत्त ) और रामु (राजेंद्र कुमार )जवान हो गए | आपदाओ की आंधी के बीच सुखीलाला के जुल्मो को देख देख कर बचपन से ही बिरजू के दिल में एक आक्रोश ने जन्म लिया था, जो वो अक्सर गाँव की लड़कियों के प्रति जागृत होता था, विशेषकर सुखीलाला की बेटी रूपा  की और , रामु उससे विरुध्द शांत और सौम्य स्वभाव का था |समय के साथ बिरजू का गुस्सा  और  आंतक बढ़ते ही जाता है ,वो अक्सर सुखीलाला पर हमला करता है ,,,लाला से वो अपनी माँ के हड़प किये हुवे कंगन चुराता है ,लेकिन ईस बात से राधा और रामु उससे नाराज हो जाते है, वो गाँव के बाहर जाता है, डाकू बन जाता है |राधा सुखीलाला को रूपा एवं लाला के परिवार को बिरजू से सुरक्षित रखने का वचन देती है |रूपा की शादी के दिन बिरजू अपनी टोली के साथ आता है और सुखीलाला को मारता है, रूपा का अपहरण करता है,वो अपने घोड़े पे बिठाकर रूपा को लेकर गाँव छोड़ रहा होता है तब राधा उसकी माँ पीछे से गोली मार देती है वो नीचे गिरता है और माँ की गौद में दम तोड़ता है | 
फिल्म वापस शुरुआती द्रृश्य पर वापस लोटती है, राधा नहर के दरवाजे को खोलती है, उसका पानी बेहता हुवा खेतो में आगे बढ़ता है, जो फिल्म के अंत के साथ नये युग का आरंभ बताती है  |
फिल्म के हर गाने एक प्रेरणा देते है |

जो फिल्म का नाम ही mother india है वो भारतीय माता अपने भारतीय संस्कारो को जिंदा रखने के लिए अपने पुत्र को भी मार सकती है, फिल्ममें भारतीय संस्कृति,ग्रामीण रीत रिवाज और गाँव के साहूकारों के अत्याचारों का हूबहू फिल्मीकरण करके बहुत सारे संदेश दिये गए है |

























टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Taare zamin par story in hindi तारे ज़मीन पर कहानी .

                                                                                                                              तारे जमीन पर                                बॉलीवुड, जहाँ फिल्मों की कहानी वो कॉम्बो पैक रेहता है जिसमें एक मूल कथा के साथ में एक प्रणय कथा का समन्वय रेहता है, फिल्मों की मूल कथा सामाजिक पहलु से जुडी हो, राजकारण, खेल, तालीम, अंडवर्ल्ड से जुडी हो या कोई धार्मिक कथा हो  साथ में एक प्रणय कथा रहती ही रहती है | दूसरे शब्द में कहेंगे तो हिंदी फिल्म की कहानी वो लता है जो प्रणय कथा के वटवृक्ष के सहारे पनपती है, और दर्शक को रिझाने में कामयाब रहती है। लेकिन कुछ चंद फिल्म...

Manthan- movie , मंथन फिल्म -ऐक समीक्षा।

                                Manthan movie story in Hindi          भारत की अधिकतर जनसंख्या गाँवो में बसी है, और उनकी आमदनी कृषी पर निर्भर है। भारत की इसी ग्रामीण अर्थव्यस्था सुद्ढ करने में डेरी उधोग की प्रमुख भूमिका है । कृषी एवं डेरी उधोग के बीच परस्पर निर्भरता वाले संबंध है , आंतरराष्ट्रीय  बाजार में भारत का अपना विशेष स्थान है । और यह विश्व में सबसे बड़ा दुध उत्पादक और दुध उत्पादो का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक  देश है , भारत को इस शिखर पर ले जाने का श्रेय वर्गीस कुरियन को जाता है, वर्गीस कुरियन ने सहकारीता के जरिए दुध उत्पादन को जनांदोलन बनाया , उन्हों ने जिसके लिये काफी संघर्ष किये , इसी संघर्ष का प्रतिबिंब हैफिल्म " मंथन " ।                                                                    ...

Aaina movie download review आईना फ़िल्म ऐक समीक्षा

                                                                                                                                                                                                Aaina                                         ( movie )                                               ...