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Jo jita vohi sikander movie download review -जो जीता वोही सिकन्दर

                                                                                  JO JITA VOHI SIKANDER                                    movie                                                                                                                                      फिल्म की शुरुआती दृश्य में देहरादून के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ कुछ  इस प्रकार की ध्वनि सुन ने को मिलती है :-                                                                                                                                        ,देहरादून ,पहाड़ियों  की  गोद में एक खूबसूरत जन्नत। आम लोगो की हलचल से दुर ,और  इसी  जन्नत में  है हिंदुस्तान के चुने हुए बारह स्कुल -कालेज। यहां  देश  के सबसे   रईस खानदान बच्चों को ऊंची तालीम के लिये भेजते है ;किसी के स्टील के मील है तो  किसी के चाय के स्टेट ,हर  एक बच्चा करोडो का वारिस। इन  कॉलेजिसो  में  चोटि का दर्जा  दिया जाता है 'राजपुत' स्कूल एंड कॉलेज को ;पढाई में सबसे आगे और स्पोर्ट्स में सबसे अव्वल। इसी तरह लड़कियों के लिये मशहूर है क्वीन्स जुनियर   कॉलेज। यहां के सभी   कॉलेजों  के लड़के इनके दीवाने है। इसी  के  बिच का हिस्सा मालरोड कहलाता है ;जहा की बस्ती के लोग उनकी दुकाने चलाते है ;इन गरीब बस्तीवाले  बच्चों के लिए एक बहुत ही मामूली सा स्कूल है मॉडल स्कूल एंड कॉलेज ;यहाँ के लड़को की खासियत पठाई में सबसे पीछे और बुरी आदतों में अव्वल। इंतहान  सर पे है फिर भी मॉडल कॉलेज की तैयारी  का ढंग अलग है।इन की कोई मंज़िल है तो क्वीन्स कॉलेज की लड़किया। हर साल की तरह इंतहान खतम हो चुके है। इण्टर कॉलेज स्पोर्ट का  मुकाबला होने वाला है ;पुरी बस्ती में चर्चा है इस साल इण्टर कॉलेज कप कौन जीतेगा  ?  ":-                                     
                                                                                                                                                                                                               इसी बस्ती में फिल्म के नायक संजु (आमिर खान )रहता है ,वो अपने परिवार का लापरवाह बेटा है ; उसके पिता रामलाल (कुलभूषण खरबंदा ) उससे हमेंशा परेशान रहते है। उनके परिवार में  उसके आलावा उसका बड़ा भाई रतन (मामीक ) है;जो एक जिम्मेदार इंसान है। संजू  पिता चाहते है कि वो भी रतन के जैसे जिम्मेदार इंसान बने। संजू की पड़ोस में अंजलि(आयशा जुल्का ) रहती है जो उसको मन ही मन चाहती है ;अंजली के पिता एक मैकेनिक है जिनकी बस्ती मे व्हीकल रिपेयरिंग की दुकान है। संजू ,रतन ,अंजली और बस्ती के उनके कुछ दोस्त मॉडल स्कूल में पढ़ते है। वार्षिक खेल उत्सव में रतन साइकल रेस में हिस्सा लेता है ;लेकिन राजपूत कॉलेज के शेखर मल्होत्रा (दीपक तिजोरी ) के सामने हार जाता है क्यों की उसकी सायकल की कंडीशन इतनी अच्छी नहीं थी ;शेखर अपनी इस जीत के साथ मगरूर हो जाता है। संजू के पिता बस्ती में एक CAFE  चलाते है ;जहाँ कॉलेज के छात्रों की भीड़ हमेसा लगी रहती थी  उसी से आमदनी भी होती है। घमंडी शेखर हमेसा रतन और उसके पिता को अपमानित करते रहता है और उसी के चलते संजू और शेखर का झगड़ा भी होते रहता है और कई बार तो हाथापाई भी  हो जाती थी। एक लड़की देविका (पूजा बेदी ) के चक्कर में दोनों के बीच का तनाव और बढ़ जाता है। देविका का झुकाव साईकिल रेस चैम्पियन होने के कारन शेखर की और होता है लेकिन संजू चालाकी से अपने को जेवियर्स कॉलेज का छात्र बताकर देविका को अपनी और आकर्षित करने में कामयाब हो जाता है। लेकिन संजू की पोल तभी खुल जाती है जब देविका उसे डांस कॉम्पीशन में मॉडल स्कूल के ग्रुप में देखती है। संजू देविका के पीछे इतना दीवाना था के वो पिताजी ने बैंकमें पैसे रखने के लिए दिए थे उससे देविका के लिए हार खरीद लेता है ;रामलाल  ये पैसे रतन की नयी साईकल के लिए इक्कठा कर रहे थे। डांस कॉम्पिटशन के बाद ,शेखर और देविका  CAFE  पर आ कर संजू का अपमान करते है ;देविका संजू से रिश्ता तोड़ देती है।  यही सब गरमा गर्मी में शेखर और उसके दोस्तके साथ  झगड़ा होता है। संजू को बचाने के लिए न चाहते हुए भी रतन बिच में पड़ता है और शेखर और उसके दोस्त की पिटाई करता है। दिल में सब बदले की भावना लेकर के भाग जाते है। दुसरी और संजू को उसके पिता रामलाल बैंक में जमा करने जो पैसे दिए थे उसके बारे में पूछते है ,वो सच्चाई बताता है तब उसकेपिता उसे घर से बहार निकल देते है।                                                                  बाद में संजू को माफ़ कर देते है ,और रतन को उसे घर वापस बुलाने के लिए कहते है ,ऐसा बोलकर रतनलाल शहर जाते है ;रतन, संजू को पिताजी ने माफ़ कर दिया ऐसा बताता है लेकिन उसकी हरकतों में कोई सुधार नहीं आता ,दूसरी और रतन उसकी सायकलिंग की प्रैक्टिस के लिए जाता है वहा उसकी शेखर के साथ  पुरानी  बातो पे बहस हो जाती है और हाथापाई भी ,उसी झगड़े में रतन गलती से खाई में गिर जाता है ,रतन को अस्पताल लेकर जाते है। संजू को  पता चलता है तो उसके  ठेस पुह्चती है:उसके व्यक्तित्व में परिवर्तन आता है। पिताजी शहर से वापस लौटते है तब संजू  रतन के एक्सीडेंट की खबर पुरे दिलासे के साथ बताता  है ;  वो टूट ना जाये उसका ख्याल रखता है ,भैया  की देखभाल  भी पूरी जिम्मेदारी से करता है। अंजलि  के साथ की हुयी गुस्ताखी का भी उसको एहसास होता है।अपने पिता का दिल रखने के लिए वो साइकिल रेस में हिस्सा लेने  तय करता है क्योंकि रतन की हालत रेस में हिस्सा लेने जैसी नहीं थी। रेस में सफलता हासिल करने के लिए होनेवाली प्रैक्टिस के लिए अंजलि संजू को प्रोत्साहित करती है  तभी संजू अंजलि के दिल में उसके लिए नाजुक भावना को महसूस करता है ;उसी प्यार की भावना के सहारे वो और भी जिम्मेदार  बनता है।                                                                                                                                                                                                रेस के लिए कुछ ही समय बाकी  था, और उसे पता चलता है कि उसके भैया के साथ हुयी दुर्घटना के लिए शेखर जिम्मेदार है ;वो गुस्से से आग बबुला हो जाता है ,उसे अफ़सोस इस बात का रहता है  की उसके भैया रतन ने भी उससे ये बात छिपाई। वो रतन के पास जाकर नाराज होता है तब रतन उसे समजाता है कि  उसके साथ हुए एक्सीडेंट के साथ वो एक "जिम्मेदार संजू "को महसूस करता है जो  अपनों के करीब है;शेखर के बारे में बताकर वो"गैरजिम्मेदार संजू"को जगाना नहीं चाहता था। संजू शांत हो जाता है;रतन  उसे एक अपनापन का एहसास करवाता है ;भाई के प्यार का वास्ता देता है एवं रेस में अव्वल आने लिए प्रोत्साहित करता है।संजू नयी सायकिल लेकर रेस में हिस्सा लेता है ,संजू और शेखरके बीच जमकर मुकाबला होता है ,घमंडी और साजिसे रच कर जीत हासिल करने में माहिर शेखर और उसके दोस्त अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते ;इसी कारन संजू के साथ रेस के दौरान रास्ते में  मारामारी होती है। इसी  में अन्य प्रतियोगी उन लोगो से आगे निकल जाते है। शेखर के दोस्त संजू पकड़ लेते है और शेखर प्रतियोगिता जितने के लिए निकल जाता है;और अन्य प्रतियोगिओं से आगे निकल जाता है। संजू कैसे भी करके शेखर के दोस्तों से अपनेआप को छुड़ाता है और रेस  शामिल होता है। अपने जोस और हौसले के साथ आगे बढ़ता है ;रेसके आखरी पड़ाव में आखरी पलों में शेखर से आगे  निकलकर जीत हासिल करता है। संजू के एक अध्यापक के मुँह से यही शब्द निकलते है :-"जो जीता वोही सिकंदर " .                                                                                                                                                                                              फिल्म अपने शिर्षक से ही ये संदेश देती है कि हार ने के बाद कोई बहानेबाजी नहीं चलती ,अगर आदमीके अंदर जितने के लिए जिद हो और हारने के लिए हिम्मत हो तो वो अपने होसलो को हिलने नहीं देगा और जित के ही रहेगा और जितने वाला हमेसा सिकंदर कहलायेगा।हालात का मार कितने भी लापरवाह इंसान  को जिम्मेदार बना देता है और जिंदगी का जंग जितने के लिए प्रेरित करता है।

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